Name: | स्वर्गीय प्रोफेसर वाजपेयी की स्मृति में व्याख्यान माला का हुआ आयोजन |
Date: | 08/10/2022 |
Description: | पामगढ़ स्थित चैतन्य विज्ञान एवं कला
महाविद्यालय में शुक्रवार को महाविद्यालय के रसायनशास्त्र विभाग के रसायनशास्त्र
परिषद एवं आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ के संयुक्त तत्वावधान में महाविद्यालय
के भूतपूर्व प्राचार्य प्रोफेसर शरद के वाजपेयी की स्मृति में उनके जन्मजयंती के
अवसर पर एक व्याख्यान माला का आयोजन किया गया। आयोजन में मुख्य अतिथि के रूप में
अटल बिहारी वाजपेयी विश्वविद्यालय बिलासपुर के कुलपति आचार्य अरूण दिवाकर नाथ
वाजपेयी उपस्थित रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता शहीद नँदकुमार पटेल विश्वविद्यालय
रायगढ़ के कुलपति डॉ ललित प्रकाश पटेरिया ने की। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के
रुप में स्व प्रोफेसर वाजपेयी की धर्मपत्नी एवं शासकीय बिलासा कन्या महाविद्यालय
बिलासपुर के रसायनशास्त्र विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ किरण वाजपेयी, गुरु घासीदास केंद्रीय
विश्वविद्यालय के वानिकी विभाग की सहायक प्राध्यापक डॉ गरिमा तिवारी, अटलबिहारी वाजपेयी
विश्वविद्यालय बिलासपुर के अधिष्ठाता प्रोफेसर एच के होता एवं शिक्षाविद विवेक
जोगलेकर उपस्थित रहे। कार्यक्रम में मुख्यवक्ता के रूप में पंडित रविशंकर शुक्ल
विश्वविद्यालय रायपुर के रसायनशास्र विभाग के विभागाध्यक्ष प्रोफेसर कल्लोल घोष
उपस्थित रहे।कार्यक्रम का शुभारंभ माता सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलित
कर किया गया। दीप प्रज्वलन के पश्चात अतिथियों ने स्व वाजपेयी के चित्र के समक्ष
पुष्पांजलि अर्पित की। ततपश्चात नन्हा पौधा देकर अतिथियों का स्वागत किया गया। स्वागत के पश्चात डॉ गरिमा
तिवारी द्वारा स्वागत उद्बोधन देते हुए अतिथियों का परिचय प्रदान किया गया। उन्होंने स्व डॉ वाजपेयी को याद करते हुए कहा
कि वे एक ऐसे व्यक्तित्व थे जो सभी का मार्गदर्शन किया करते थे आगे बढ़ने के नवीन मार्ग प्रशस्त किया करते थे।
स्वागत उद्बोदन के बाद कार्यक्रम की समन्वयक डॉ वीणापाणि दुबे ने कार्यक्रम की पृष्ठभूमि एवं रूपरेखा के विषय मे
बताते हुए स्व प्रोफेसर वाजपेयी के जीवन वृत सभा को अवगत कराया गया। उन्होंने कहा
कि डॉ वाजपेई ऐसे व्यक्तित्व सूर्य के समान था जिनके प्रकाश से पूरा महाविद्यालय
प्रकाशित हुआ करता था। उन्होंने बताया कि
स्वर्गीय डॉ शरद बाजपाई ने विभिन्न
महाविद्यालयों में महत्वपूर्ण पदो को सुशोभित किया। सीएमडी महाविद्यालय में 40 वर्षो तक प्रोफ़ेसर के
रूप में सेवा दी। सुंदरलाल शर्मा विश्वविद्याल्य में रजिस्ट्रार के पद में आसीन
रहे। सम्बोधन के क्रम में कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि डॉ किरण वाजपेयी ने सभाको
सम्बोधित करते हुए स्वर्गीय डॉ बाजपेई के जीवन के विभिन्न पहलुओं से सभासदो को
अवगत कराया।उन्होंने कहा कि डॉ शरद वाजपेयी एक सरल निश्चल, क्षमाशील, साहस व खोजी प्रवृत्ति के
व्यक्ति थे। डॉ वाजपेई पिता के आज्ञाकारी थे। पिता जी की इच्छा व आदेश पर ही
उन्होंने 1976 में तत्कालीन मध्यप्रदेश लोकसेवा आयोग के माध्यम नियुक्ति
के अवसर एवं जोधपुर विश्वविद्यालय में नियुक्ति पाने के अवसरों को त्याग दिया था।
वे सी एम डी महाविद्यालय बिलासपुर में कार्य करते हुए नियमित अंतरालों पर मद्रास
विश्वविद्यालय कलकत्ता विश्वविद्यालय के प्रयोगशालाओं में प्रयोग किया करते थे। डॉ
वाजपेई ज्ञान के सागर थे। वे चाहते थे कि विद्यार्थी मेहनत से और ईमानदारी से
सफलता को प्राप्त करें। वे कहा करते थे कि
सफलता के लिए कोई शॉर्टकट रास्ता नहीं है। सफलता प्राप्त करने के लिए मेहनत ईमानदारी
के साथ साथ धैर्य रखना बहुत ही आवश्यक है। उन्होंने बताया कि डॉ वाजपेई जब चैतन्य
विज्ञान एवं कला महाविद्यालय पामगढ़ में
प्राचार्य के रूप में जब आसीन हुए वे
बच्चों की भांति महाविद्यालय आने के लिए हमेशा
उत्साहित रहा करते थे। ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों में पढ़ाई के प्रति रुचि
देखकर वे बेहद प्रसन्नता व्यक्त किया करते थे। उन्होंने महाविद्यालय के पुस्तकालय
के लिये पुस्तकें देने का निर्णय लिया था।
दिव्यांग विद्यार्थियों के शिक्षण के लिए डॉ वाजपेई संवेदनशील थे। विशिष्ट अतिथि शहीद नंद कुमार पटेल
विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ ललित प्रकाश पटेरिया ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि स्वर्गीय डॉक्टर शरद बाजपेई जी का
व्यक्तित्व विराट था। उसे दो शब्दों या पुस्तक में समाहित नहीं किया जा सकता है।
उनके व्यक्तित्व से हमारी आने वाली पीढ़ी को शिक्षा लेनी चाहिए तथा उनके द्वारा दिखाए
गए मार्गों का अनुसरण करना चाहिए। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एडीएन वाजपेई ने अपने सम्बोधन में स्व डॉ वाजपेयी के साथ व्यतीत किये गए समय को याद करते हुए कहा स्व मेरे बड़े भाई के समान थे। वे हम सब के मार्गदर्शक थे। उन्होंने कहा कि डॉ बाजपेई एक ऐसे सरल निश्चल व्यक्ति थे जो कभी आत्मप्रशंसा नहीं किया करते थे। वे एक सम्पूर्ण मानव थे। उन्होंने बताया कि को संगीत सुनने का शौक था। हम जब एक जगह होते थे तब सुबह दोपहर शाम को सुने जाने के गीतो की अलग अलग लिस्ट बनी होती थी। उन्होंने कहा कि स्व डॉ वाजपेयी आत्मकेंद्रित सुलझे हुए समर्पित व्यक्तित्व का स्वामी थे। जीवन के एक एक क्षण को कैसे जियें यह हमें स्व डॉ शरद वाजपेयी से सीखने की आवश्यकता है।कार्यक्रम के मुख्य अतिथि अटल बिहारी वाजपेई विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ एडीएन वाजपेई ने अपने सम्बोधन में स्व डॉ वाजपेयी के साथ व्यतीत किये गए समय को याद करते हुए कहा स्व मेरे बड़े भाई के समान थे। वे हम सब के मार्गदर्शक थे। उन्होंने कहा कि डॉ बाजपेई एक ऐसे सरल निश्चल व्यक्ति थे जो कभी आत्मप्रशंसा नहीं किया करते थे। वे एक सम्पूर्ण मानव थे। उन्होंने बताया कि को संगीत सुनने का शौक था। हम जब एक जगह होते थे तब सुबह दोपहर शाम को सुने जाने के गीतो की अलग अलग लिस्ट बनी होती थी। उन्होंने कहा कि स्व डॉ वाजपेयी आत्मकेंद्रित सुलझे हुए समर्पित व्यक्तित्व का स्वामी थे। जीवन के एक एक क्षण को कैसे जियें यह हमें स्व डॉ शरद वाजपेयी से सीखने की आवश्यकता है।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता डॉ कल्लोल घोष ने अपने संबोधन में कहा कि किसी भी पद में आसीन होने से पहले हम एक अच्छे इंसान होने चाहिए। एक अच्छा इंसान ही विभिन्न पदों को सुशोभित कर अपने कार्यों सम्पदान कर सकता है।स्व डॉ शरद बाजपेई भी एक ऐसे अच्छे इंसान थे जिन्होंने सभी छात्र छात्राओं को एक अच्छी शिक्षा प्रदान की। उन्होंने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से रसायनशास्त्र की बारीकियों से परिचित कराया। उन्होंने वर्तमान परिदृश्य में बहु विषयक अनुसंधान की आवश्यकता है। उन्होंने अल्जाइमर रोग के उपचार में रसायनशास्र की भूमिका के विषय मे विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि अनुसन्धान एक सतत प्रक्रिया है। संस्था के सञ्चालक वीरेन्द्र तिवारी ने कहा कि स्व डॉ वाजपेयी अपने जिंदादिली के लिए हमेशा याद किये जाएंगे। उनकी याद में व्याख्यान माला के आयोजन के लिए आयोजन समिति को साधुवाद दिया। अतिथि उद्बोदन के पश्चात संस्था के संचालक महोदय द्वारा स्मृति चिन्ह शॉल एवं श्रीफल देकर अतिथियों का सम्मान किया गया। कार्यक्रम के अंत मे आभार प्रदर्शन संस्था के प्राचार्य ने संयुक्त राज्य अमेरिका से ऑनलाइन मीटिंग प्लेटफॉर्म के माध्यम से किया । उन्होंने अपने सम्बोधन में कहा कि स्व डॉ वाजपेई को उत्कृष्टता प्रेमी बताया। उन्होंने कहा स्व डॉ वाजपेई ने अपने ईमानदार प्रयासों से महाविद्यालय को ऊंचाइयों तक पहुचाया।पूरे कार्यक्रम की यूट्यूब स्ट्रीमिंग भी की गई। कार्यक्रम में मंच संचालन कार्यक्रम के समन्वयक प्रोफेसर वीणापाणि दुबे द्वारा किया गया। कार्यक्रम के तकनीकी सहायता कंप्यूटर साइंस विभाग के सहायक प्राध्यापक धनेश सूर्या डॉ नरेन्द्रनाथ गुरिया एवं सरोजमणि बंजारे ने प्रदान की।कार्यक्रम को सफल बनाने में रसायनशास्र विभाग के सहायक प्राध्यापक द्वय डॉ विनीता ताम्रकार व ऋषभ देव पाण्डेय, समाज कार्य विभाग के सहायक प्राध्यापक अभिषेक पाण्डेय रासेयो कार्य्रकम अधिकारी संजय बघेल सहित समस्त प्राध्यापकों व रासेयो स्वयमसेवको का विशेष योगदन रहा।कार्यक्रम में महाविद्यालय के समस्त प्राध्यापक अधिकारी कर्मचारी एवं बड़ी संख्या में विद्यार्थीगण उपस्थित थे। Youtube Link - https://www.youtube.com/watch?v=QJzHk7RTF9M&t=6s |